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Monday, June 24, 2024

लोकसभा के भीतर सियासी समीकरणों के बदले नजारे, सदन के अंदर और बाहर दिखे विपक्ष के तेवर

नई दिल्ली: हालिया लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद देश की सियासत में बदले सियासी समीकरणों की झलक सोमवार को लोकसभा में बखूबी और काफी पुख्ता नजर आई। सदन में जहां इस बार खासी संख्याबल के साथ सदन में जगह बनाने में कामयाब हुआ विपक्ष पहले दिन के शुरू से ही मुस्तैद व आक्रामक नजर आया, वहीं उसने अपने तेवरों से साफ कर दिया कि वह मुद्दों को लेकर सरकार या सत्तापक्ष के साथ किसी भी तरह की नरमी नहीं दिखाने वाला। 17वीं लोकसभा में महज दो बैंचों तक सिमटे विपक्ष का फैलाव अब चौथे बैंच की सीटों तक हो चुका था। सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच अपनी अपनी ताकत व रणनीति का अहसास कराने के लिए जिस तरह से दोनों पक्षों के नेताओं ने सीटें संभाली, वह भी काफी हद तक दोनों पक्षों की रणनीति व इरादों को साफ कर रहा था। गौरतलब है कि पहले दिन जहां विपक्ष सदन में काफी मुस्तैद व मुखर नजर आया, तो वहीं सत्तापक्ष अपेक्षाकृत शांत और संयमित दिखता लगा। एक दो सांसदों को छोड़ दें, बीजेपी के बेंच पर ज्यादातर सांसद शांत दिखे।विपक्ष की पहली पंक्ति थी खाससत्तापक्ष की ओर से जहां पीएम मोदी के साथ पहली बैंच व पंक्ति में पीएम मोदी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह और नितिन गडकरी नजर आए, जो कहीं न कहीं मोदी सरकार में मंत्रियों की हैसियत दिखा रही थी, वहीं दूसरी ओर विपक्ष में पहली बैंच पर कांग्रेस के राहुल गांधी, के सुरेश, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, एसपी नेता अखिलेश यादव व फैजाबाद (अयोध्या) से एसपी सांसद अवधेश प्रसाद बैठे दिखाई दिए। अखिलेश यादव सोमवार को सदन में लगातार अवधेश प्रसाद को साथ में बैठाए दिखे। प्रसाद को पहली पंक्ति के नेताओं के साथ बैठाकर विपक्ष ने सत्तापक्ष को सीधा एक संदेश देने की कोशिश की है। दरअसल, जिस तरह से इस साल के शुरू में राम मंदिर प्रतिष्ठा के बाद बीजेपी की ओर चुनाव में राम मंदिर का श्रेय लेने की रणनीति पर काम किया, उसके बाद हालिया चुनाव में फैजाबाद से बीजेपी की हार को विपक्ष लगातार अपनी बड़ी जीत खासकर प्रतीकात्मक जीत के तौर पर देख रहा है। ऐसे में अवधेश प्रसाद को पहली लाइन में बैठाकर विपक्ष ने उस जीत को रेखांकित करने की कोशिश की। अवधेश प्रसाद कहीं न कहीं बीजेपी के राम मंदिर के प्रतीक पर ही नहीं, बीजेपी की जीत में बड़ी भूमिका निभाते रहे यूपी में विपक्ष की संयुक्त रणनीति के सफल चेहरे के तौर पर सामने आते दिखे। इसीलिए विपक्ष ने उन्हें इतनी प्रमुखता से सदन में जगह देने की कोशिश की।पहले ही दिन दिखे विपक्ष के आक्रामक तेवरविपक्ष के आक्रामक तेवर पहले ही दिन शुरुआती कार्यक्रम में ही उस वक्त नजर आ गए, जब प्रोटेम स्पीकर ने पैनल का ऐलान करते हुए शपथ का क्रम बताया तो विपक्षी नेताओं ने तुरंत खड़े होते हुए मुखर तरीके से विरोध शुरू कर दिया। विपक्ष लगातार सरकार पर संसदीय मर्यादाओं की अनदेखी का आरोप लगा रहा था। इतना ही नहीं, विपक्ष ने इस पैनल का हिस्सा बनने से साफ इनकार कर दिया। हालांकि इस मुद्दे पर टकराव के संकेत पहले ही मिलने लगे थे, जब विपक्ष ने प्रोटेम स्पीकर के तौर पर सात बार के सांसद भर्तहरि महताब की नियुक्ति पर सवाल उठाने शुरू किए थे। साेमवार को जब पैनल के सदस्यों को शपथ लेनी थी तो पैनल में शामिल किए गए विपक्ष के तीनों ही सदस्य कांग्रेस के के सुरेश, डीएमके के टी आर बालू और टीएमसी के सुदीप बंधोपाध्याय ने शपथ लेने से मनाकर दिया। इतना ही नहीं, सुरेश व बालू उस दौरान सदन से बाहर निकल कर चले गए।शपथ ग्रहण के लिए दो पोडियम की व्यवस्थाशपथग्रहण में इस बार दो पोडियम की व्यवस्था की गई है। एक सत्तापक्ष की तरफ लगाया गया है तो वहीं दूसरा विपक्ष की ओर। विपक्ष के सदस्यों ने आसन पर मौजूद महताब से शिकायत करते हुए कड़े शब्दों में इसका विरोध किया। विपक्ष का कहना था कि आपने तो सदन को ही बांट दिया। यह गलत है। विपक्ष के तीखे तेवरों से साफ है कि वह इस बार सरकार के हर कदम, हर चाल व हर फैसले पर न सिर्फ बारीकी से नजर रख रहा है, बल्कि वह एकजुट तौर पर वह इसका समय रहते विरोध भी करेगा। जिस तरह से पहले दिन सदन में विपक्ष कहीं सरकार पर कटाक्ष करता, कहीं विरोध करता, कहीं घेरता व कहीं घटक दलों के साथ चुहलबाजी करता दिखा, उससे साफ है कि विपक्ष संयुक्त रूप से बाकायदा तालमेल बनाकर सदन में अपनी रणनीति करेगा। पीएम मोदी व अमित शाह को संविधान की प्रतियां दिखाना हो या फिर शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान को नीट को लेकर घेरना अथवा घटक दलों के साथ हल्की फुल्की चुहलबाजी, सब विपक्ष की तैयारियों को दिखाता है।सदन के बाहर भी विपक्ष के तेवर सख्तरोचक है कि विपक्ष का यह तालमेल सदन के भीतर से लेकर बाहर तक दिखा। जिस वक्त मोदी सरकार के मंत्रीगण शपथ ले रहे थे, उस दौरान सदन से बाहर संसद परिसर में समूचा विपक्ष हाथ में संविधान की प्रतियां लेकर विरोध करता नजर आया। इनमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल थीं। विपक्ष का कहना था कि हम संविधान की अनदेखी बरदाश्त नहीं करेंगे। वहीं सत्तापक्ष की ओर से शपथ लेने वाले कुछ सांसदों ने सोमवार को बाकायदा हाथ में संविधान की प्रतियां लेकर शपथ ली। इससे पहले विपक्षी एकजुटता के तौर पर इंडिया गठबंधन के तमाम दलों ने तय किया था कि पहले दिन गठबंधन के तमाम सांसद एकसाथ सदन में प्रवेश करेंगे और हाथ में संविधान की प्रति लेकर सदन में जाएंगे।


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