अगर कॉलेजियम ने जस्टिस जोसेफ की फाइल दोबारा सरकार के पास भेजी तो क्‍या होगा? - CREATIVE NEWS

CREATIVE NEWS

Latest And Breaking News On English Hindi. Explore English Hindi Profile At Times Of India For Photos, Videos And Latest News Of English Hindi. Also Find News, Photos And Videos On English Hindi.Find English Hindi Latest News, Videos & Pictures On English Hindi And See Latest Updates, News, Information From . https://thinkrht.blogspot.in Explore More On English Hindi.

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Tuesday, May 1, 2018

अगर कॉलेजियम ने जस्टिस जोसेफ की फाइल दोबारा सरकार के पास भेजी तो क्‍या होगा?

[ad_1]

नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद सरकार ने 28 अप्रैल को उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की फाइल को पुनर्विचार के लिए वापस लौटा दिया. उसके बाद दो मई को कॉलेजियम फिर से जस्टिस जोसेफ के नाम पर विचार के संबंध में बैठक करने जा रही है. इसके साथ ही बड़ा सवाल यह उठता है कि यदि कोर्ट ने सरकार की आपत्तियों के बावजूद जस्टिस जोसेफ के नाम की फिर से सिफारिश की तो क्‍या होगा?


वैसे तो आमतौर पर सरकारें कॉलेजियम की सिफारिशों को मानती रही हैं. ऐसा यदा-कदा ही हुआ है कि सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव किसी नाम पर आपत्ति उठाई हो. इस मामले में कानून के जानकारों के मुताबिक यदि जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को दोबारा कॉलेजियम सरकार के पास विचार के लिए भेजती है तो सरकार को इस फैसले को मानना ही होगा.


कॉलेजियम
सुप्रीम कोर्ट के पांच सबसे सीनियर जजों की कमेटी होती है जो जजों की नियुक्तियों और प्रमोशन के संबंध में फैसले लेती है. इस वक्‍त चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ कॉलेजियम के सदस्‍य हैं. इन सभी जजों की उपस्थिति में लिए गए निर्णयों को सरकार के पास भेजा जाता है. सरकार संबंधित फाइल को राष्‍ट्रपति के पास भेजती है. उसके बाद राष्‍ट्रपति कार्यालय जज की नियुक्ति के संबंध में अधिसूचना जारी कर देता है और इस तरह नियुक्ति हो जाती है.


km joseph
सुप्रीम कोर्ट के पांच सबसे सीनियर जजों की कमेटी होती है जो जजों की नियुक्तियों और प्रमोशन के संबंध में फैसले लेती है.(फाइल फोटो)


जस्टिस केएम जोसेफ
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में दो नामों को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में प्रोन्‍नत करने के लिए भेजा था. इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता थीं. सरकार ने इंदु मल्होत्रा के नाम पर तो मंजूरी दे दी और पिछले शुक्रवार को उन्‍होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया लेकिन जस्टिस जोसेफ की फाइल को फिर से विचार करने की बात कहते हुए लौटा दिया था.


इस मसले पर राजनीति भी खूब हुई है. विपक्षी कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए सवाल किया था कि क्या दो साल पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ फैसले की वजह से जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं दी गई? दरअसल 2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के शासन के दौरान राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था. इस पर मोदी सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी थी. इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई और हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की सिफारिश को नामंजूर कर दिया था और यह फैसला सुनाने वाले जस्टिस जोसेफ ही थे. इसी कारण राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जस्टिस जोसेफ को उसी फैसले की सजा मिली है.


joseph kurian
जस्टिस कुरियन कॉलेजियम के सदस्‍य हैं और इसी नवंबर में रिटायर होने वाले हैं.(फाइल फोटो)


जस्टिस कुरियन का CJI को खत
कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस और कॉलेजियम के सदस्‍य जोसेफ कुरियन ने पिछले दिनों चीफ जस्टिस(CJI) दीपक मिश्रा को पत्र भी लिखा था. इसी संदर्भ में जस्टिस जोसेफ कुरियन ने चीफ जस्टिस से सख्‍त शब्‍दों में अपील करते हुए कहा था, ''इस कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि तीन महीने बीत जाने के बावजूद की गई सिफारिशों का क्‍या हुआ, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.''


जस्टिस कुरियन ने सीजेआई से तत्‍काल हस्‍तक्षेप करने की अपील करते हुए यह भी कहा, ''गर्भावस्‍था की अवधि पूरी होने पर यदि नॉर्मल डिलीवरी नहीं होती तो सिजेरियन ऑपरेशन की तत्‍काल जरूरत होती है. यदि सही समय पर ऑपरेशन नहीं होता तो गर्भ में ही नवजात की मौत हो जाती है.''  इसके साथ ही जस्टिस कुरियन ने यह चेतावनी भी दी, ''इस कोर्ट की गरिमा, सम्‍मान और आदर दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है क्‍योंकि इस कोर्ट की अनुशंसाओं को अपेक्षित समयावधि के भीतर हम तार्किक निष्‍कर्षों तक पहुंचाने में सक्षम नहीं रहे हैं.''


सरकार की प्रतिक्रिया
इस बीच जस्टिस जोसेफ के नाम की फाइल लौटाते समय सीजेआई दीपक मिश्रा को लिखे पत्र में केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि न्यायमूर्ति जोसफ का नाम सरकार की ओर से पुनर्विचार के लिए भेजने को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मंजूरी हासिल है. साथ ही पत्र में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व नहीं है.


प्रसाद ने पत्र में कहा, ‘इस मौके पर जोसफ की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति का प्रस्ताव उचित नहीं लगता है.’ पत्र में कहा गया है, ‘यह विभिन्न हाई कोर्ट के अन्य वरिष्ठ, उपयुक्त और योग्य मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ भी उचित और न्यायसंगत नहीं होगा.’ सरकार ने कहा कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मापदंड के अनुरूप नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है, न्यायमूर्ति जोसेफ केरल से आते हैं.




[ad_2]

Source link

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages