राफेल सौदे (Rafale Deal) पर CAG की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश कर दी गई है, जिसके बाद राज्यसभा और लोकसभा, दोनों सदनों को स्थगित कर दिया गया है. कांग्रेस ने कैग की रिपोर्ट को लेकर सवाल उठाए है. इसके बाद पार्टी अब संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन भी कर रही है. इस प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, UPA की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे नोता भी शामिल हैं. Delhi: Earlier visuals of protest by Congress party, in the Parliament premises over Rafale deal. pic.twitter.com/7ciCSjXmO4 — ANI (@ANI) February 13, 2019 दरअसल राहुल गांधी राफेल डील पर CAG की रिपोर्ट को लेकर बुधवार को एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमला बोल रही है. वहीं संसद में बिल पेश होने से पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था, आप देख सकते हैं कि केंद्र पूर्वाग्रह के साथ काम कर रही है, जो पहले ही फैसला ले चुके हैं. इसलिए इस रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है. इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को भी राफेल मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राफेल डील में बिचौलिया बताया था. उन्होंने कहा था, राफेल डील में एक ईमेल सामने आया है, जिससे साफ है कि नरेंद्र मोदी ने अनिल अंबानी के मिडिल मैन का काम किया. राहुल गांधी ने कहा था, इस ईमेल में इस ईमेल में एयरबस के एक एग्जीक्यूटिव ने लिखा है कि अनिल अंबानी ने राफेल डील साइन होने से 10 दिन पहले ही फ्रांस रक्षा मंत्री से मुलाकात की थी. क्या है राफेल सौदा? राफेल डबल इंजन से लैस आधुनिक लड़ाकू विमान है. इसका निर्माण फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन ने किया है. भारत सरकार ने फ्रांस के साथ 36 आधुनिक लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया है. फ्रांस यात्रा के दौरान अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों की सरकार के स्तर पर समझौते के तहत 36 राफेल विमानों के खरीदने की घोषणा की थी. भारत और फ्रांस के बीच 36 विमानों का यह सौदा 58,000 करोड़ रुपयों का है. कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर इस सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है. पार्टी इसे मुद्दे पर सड़क से संसद तक में जोर-शोर से विरोध-प्रदर्शन कर रही है. कांग्रेस का आरोप है कि उसके (यूपीए) शासनकाल में भारत सरकार द्वारा वायुसेना की मजबूती के लिए फ्रांस से 126 विमानों के लिए 54,000 करोड़ रुपए में सौदा तय किया गया था. लेकिन 2014 में केंद्र में सत्ता आने पर मोदी सरकार ने विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 कर दिया जबकि लागत बढ़ाकर 58,000 करोड़ रुपए कर दिया
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Rafale Deal: CAG की रिपोर्ट पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, संसद परिसर में भारी विरोध प्रदर्शन
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