प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा की तस्वीरों और विडियो को लेकर मालदीव में जिस तरह का अप्रिय विवाद खड़ा हुआ, वह दो देशों के राजनयिक संबंधों में कम ही देखने को मिलता है। यह प्रकरण इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जाएगा कि इसने कूटनीति के फैलते आयाम के साथ ही इसमें सोशल मीडिया की भूमिका को भी रेखांकित किया है।मुइज्जू का चीन प्रेम: यह विवाद ऐसे समय उभरा, जब भारत और मालदीव के रिश्ते कुछ महीनों से तल्ख हुए हैं। नवंबर में सत्ता में आए राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने आते ही कहा कि भारतीय सेना को मालदीव से जाना होगा। साथ ही, यह भी ऐलान कर दिया कि पिछली सरकार के दौरान भारत से हुए सभी समझौतों पर उनकी सरकार पुनर्विचार करेगी।रिश्तों पर आंच : मालदीव और भारत के ऐतिहासिक तौर पर करीबी रिश्तों के मद्देनजर अब तक वहां के तमाम राष्ट्रपति अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत ही आते थे। मगर राष्ट्रपति मुइज्जू ने तुर्किये को अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पड़ाव बनाया। अब एक सप्ताह की यात्रा पर चीन गए हैं। हालांकि भारत ने इसे तूल न देते हुए कहा है कि यह उन पर निर्भर करता है कि वे कहां जाते हैं और अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों का निर्धारण किस तरह करते हैं।सोशल मीडिया जरिया : संभवत: नए राष्ट्रपति की इन बदली प्राथमिकताओं के कारण मालदीव के बदले राजनीतिक माहौल का ही नतीजा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के एक हिस्से की यात्रा के दौरान ली गई ली गई तस्वीरें और विडियो मालदीव के मंत्रियों के निशाने पर आ गईं। तीन मंत्रियों ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर उन तस्वीरों के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ओछी टिप्पणियां कीं।कड़ी प्रतिक्रिया : दिलचस्प है कि इस पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया तो बाद में आई, पहले सोशल मीडिया साइट एक्स पर ही हैशटैग #बायकॉटमालदीव ट्रेंड करने लगा। इंडियन सिलेब्रिटीज भी खुलकर सामने आ गईं। मालदीव की बुकिंग कैंसल कराने के स्क्रीनशॉट शेयर किए जाने लगे।मंत्री बर्खास्त: टूरिज्म बेस्ड इकॉनमी वाले मालदीव के लिए गंभीर हालात बनते जा रहे थे। 4 लाख की आबादी वाले इस देश के GDP में 25 प्रतिशत का योगदान पर्यटन क्षेत्र का है। इसमें भी सबसे अधिक भारतीय पर्यटकों का। मालदीव के अंदर से भी प्रतिक्रियाएं आने लगीं। पूर्व राष्ट्रपतियों समेत कई प्रमुख लोगों ने इन बयानों की कड़े शब्दों में निंदा की। मौके की नजाकत समझते हुए मुइज्जू सरकार ने न सिर्फ इन बयानों से खुद को अलग किया बल्कि तीनों मंत्रियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया।दीर्घकालिक हित : इससे तात्कालिक तौर पर यह विवाद निपटता लग रहा है, लेकिन मालदीव सरकार को अपने दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों का ध्यान रखते हुए भारत की चिंताओं को समझना होगा और उसे अपनी नीतियों में जगह देनी होगी।
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