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Monday, July 22, 2024

नासा के अंतरिक्ष यान ने मरने से पहले किया था कमाल, शनि के चंद्रमा पर देखा था रहस्यमय नजारा, अब हुआ खुलासा

वॉशिंगटन: नासा के कैसिनी-हुय्गेंस अंतरिक्ष यान ने सात साल पहले शनि ग्रह के आसपास का पता लगाने के अपने 20 साल के मिशन को 'आत्महत्या' के जरिए खत्म कर लिया था। तब कैसिनी अंतरिक्ष यान शनि ग्रह के विशाल गैस के बादलों में कूद गया था। लेकिन इससे तब जो डेटा मिले वह आज भी वैज्ञानिकों की मदद कर रहे हैं। कैसिनी ने जो रडार डेटा इकट्ठा किया था उसके इस्तेमाल से कॉर्नेल विश्वविद्यालय के खगोलविदों ने शनि के सबसे बड़े चंद्रमा, टाइटन के तरल महासागर के बारे में ताजा जानकारी एकत्र की है, जो हाइड्रोकार्बन से बना है।टीम टाइटन के समुद्र की संरचना का विश्लेषण करने में सक्षम रही। जो टाइटन के उत्तरी ध्रुव के पास स्थित है। शोधकर्ताओं को हल्की ज्वारीय धारा के साथ मीथेन के शांत समुद्र मिले। यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी भी पुरानी स्टडी में यह सामने नहीं आई। यह सौर मंडल के समुद्री चंद्रमाओं की भविष्य की जांच के लिए एक आधार भी तैयार करती है। इन नए निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए जिस डेटा का इस्तेमाल हुआ वह 'बैलिस्टिक रडार' ने इकट्ठा किया था, जिसमें टाइटन पर रेडियो बीम पड़ती थी और दूसरी तरफ डेटा धरती पर पहुंचता था।

कब किया गया था लॉन्च

टीम के सदस्य और कॉर्नेल सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स एंड प्लैनेटरी साइंस (CCAPS) के शोधकर्ता वेलेरियो पोगियाली ने कहा, 'यह एक द्विस्थैतिक जानकारी है जो अधिक संपूर्ण डेटा देता है। यह सतह और उसके खुरदरापन के प्रति संवेदनशील है।' कैसिनी को 15 अक्टूबर 1997 को लॉन्च किया गया था। इसके बाद शनि ग्रह और उसके सिस्टम तक पहुंचने में सात साल लग गए। नासा नहीं चाहता था कि कैसिनी शनि के 146 ज्ञात चंद्रमाओं में से किसी एक से टकरा जाए।

नासा ने अंतरिक्ष यान क्रैश कराया

नासा ने अंत में इसे शनि पर क्रैश करवा दिया, ताकि ग्रह से जुड़ी जानकारी मिल सके। पोगियाली और उनकी टीम ने जिस डेटा का इस्तेमाल किया वह 17 मई, 18 जून और 24 अक्टूबर 2024 और फिर 14 नवंबर 2016 को इकट्ठा किया गया था। शोधकर्ताओं ने टाइटन के तीन ध्रुवीय समुद्रों के अवलोकन की जांच की। उन्होंने पाया कि हाइड्रोकार्बन समुद्र के सतह की परतों की संरचना स्थान और उनके अक्षांश पर निर्भर करती है। तीनों समुद्रों का अवलोकन करने पर वह शांत लग रही थीं। अंतरिक्ष यान को 3.3 मिलीमीटर की लहरें दिखीं। जहां हाइड्रोकार्बन समुद्र तट से मिलते थे, वहां लहरों की ऊंचाई सिर्फ 5.2 मिलीमीटर तक पहुंच गईं, जो कमजोर ज्वारीय धाराओं को दिखाती हैं।


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