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Wednesday, August 7, 2024

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के जज की टिप्पणी से पीड़ा हुई, CJI चंद्रचूड़ ने ऐसा क्यों कहा?

नई दिल्ली: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक जज की ओर से सुप्रीम कोर्ट पर की गई टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हटा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये टिप्पणी अपमानजनक और अनावश्यक थी। मामला अवमानना का था। यह मामला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज राजबीर सेहरावत की टिप्पणियों से जुड़ा था। जस्टिस सेहरावत ने एक अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन टिप्पणियों को अपमानजनक और अनावश्यक बताते हुए हटा दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस सहरावत के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच का नेतृत्व चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ कर रहे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि न तो सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है और न ही हाई कोर्ट, वास्तव में भारत का संविधान सर्वोच्च है। इसने साथ ही कहा कि हाई कोर्ट में कार्यवाही के संचालन के लिए ऐसी टिप्पणियां पूरी तरह अनावश्यक थीं। पीठ ने हालांकि इस स्तर पर हाई कोर्ट के न्यायाधीश की 'अपमानजनक' टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कोई नोटिस जारी नहीं किया और न ही किसी तरह की कार्यवाही की।

सुप्रीम कोर्ट ने दी ये नसीहत

इसने कहा, 'हम तदनुसार न्यायमूर्ति सेहरावत की ओर से 17 जुलाई 2024 को पारित आदेश में की गईं टिप्पणियों को हटाते हैं और उम्मीद करते हैं कि भविष्य में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर... हाई कोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित आदेशों पर विचार करते समय अधिक सावधानी बरती जाएगी।' पीठ ने कहा, 'न्यायिक प्रणाली की पदानुक्रमिक प्रकृति के संदर्भ में न्यायिक अनुशासन का उद्देश्य सभी संस्थाओं की गरिमा को बनाए रखना है, चाहे वह जिला न्यायालय हों, हाई कोर्ट हों या सर्वोच्च न्यायालय का स्तर हो।'

'पूरे न्यायिक तंत्र की प्रतिष्ठा खराब होती है'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से पूरे न्यायिक तंत्र की प्रतिष्ठा खराब होती है और इससे न केवल सुप्रीम कोर्ट बल्कि उच्च न्यायालयों की गरिमा भी प्रभावित होती है। पीठ की कार्यवाही शुरू होने पर जीफ जस्टिस ने कहा, ‘ हमें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश की ओर से गई टिप्पणियों से पीड़ा हुई है।’ इस मामले में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी के साथ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी पेश हुए। वेंकटरमणी ने टिप्पणियों का उल्लेख किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।


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