काठमांडू: नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) ने पहली बार बिहार को 40 मेगावाट बिजली की आपूर्ति शुरू की है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। एनईए के प्रवक्ता चंदन घोष ने बताया कि एनईए ने गुरुवार को पहले चरण में कटैया-कुशवाहा ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से बिजली की आपूर्ति शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि नेपाल को बिहार को 125 मेगावाट बिजली आपूर्ति करने की मंजूरी मिल गई है। घोष ने कहा, ''हम समय के साथ धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाएंगे।''समझौते के अनुसार, एनईए, भारत की पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के माध्यम से बिहार को बिजली आपूर्ति कर रहा है। वर्तमान में, भारत को प्रतिदिन लगभग 620 मेगावाट बिजली आपूर्ति की जा रही है। पिछले वर्ष नेपाल ने भारत को अधिशेष बिजली बेचकर 17.06 अरब रुपए का राजस्व अर्जित किया था। इसी अवधि के दौरान, नेपाल ने 16.93 अरब रुपए मूल्य की बिजली का आयात किया।
भारत ने पिछले महीने ही दी थी मंजूरी
भारत ने पिछले महीने ही नेपाल को 251 मेगावाट अतिरिक्त बिजली निर्यात करने की अनुमति दी थी। एक सरकारी बयान में कहा गया था कि यह पहली बार है जब नेपाल, बिहार को मध्यम अवधि के बिक्री समझौते के तहत बिजली की आपूर्ति करेगा। नेपाल में भारतीय दूतावास ने बयान में कहा, ‘‘भारत के सीमापार व्यापार के लिए नामित प्राधिकरण ने नेपाल में 12 जलविद्युत परियोजनाओं से 251 मेगावाट अतिरिक्त बिजली निर्यात को मंजूरी दी है।’’ इसके साथ ही नेपाल 28 परियोजनाओं से 941 मेगावाट जलविद्युत का निर्यात करेगा। इससे पहले नेपाल 16 परियोजनाओं से 690 मेगावाट बिजली निर्यात कर रहा था।भारत को बिजली बेच पैसे कमा रहा नेपाल
बयान में कहा गया है कि 251 मेगावाट की इस मंजूरी से पहले ही नेपाल पिछले वित्त वर्ष में 16.93 अरब नेपाली रुपये की बिजली बेचकर बिजली का शुद्ध निर्यातक और शुद्ध राजस्व सृजक बन चुका था। इसमें कहा गया है कि अक्टूबर, 2021 में भारत ने पहली बार नेपाल से 39 मेगावाट बिजली निर्यात को मंजूरी दी। इसमें कहा गया है कि तीन साल से भी कम समय में यह आंकड़ा 24 गुना से अधिक बढ़ गया है।भारत और नेपाल में दीर्घकालिक समझौता
भारत और नेपाल ने दीर्घकालिक बिजली व्यापार के लिए एक समझौता किया है, जिसमें अगले 10 साल में नेपाल से भारत को 10,000 मेगावाट तक बिजली की बिक्री की परिकल्पना की गई है। यह समझौते का पहला वर्ष है और लगभग 1,000 मेगावाट निर्यात पहले ही हो चुका है। बांग्लादेश को 40 मेगावाट बिजली की बिक्री के लिए एक समझौते को भी अंतिम रूप दिया गया है और इसपर 28 जुलाई को हस्ताक्षर करने की योजना थी, लेकिन बांग्लादेश में हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया।from https://ift.tt/IeVTzns
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