फीनिक्स: अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पनामा नहर पर कब्जे के बयान पर बवाल मच गया है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है जिसे अमेरिका ने ''मूर्खतापूर्ण'' तरीके से अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंप दिया था। अब इस बयान पर पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया। कोलंबियाई राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने पनामा की स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए समर्थन व्यक्त किया है
ट्रंप पनामा नहर पर कब्जा क्यों चाहते हैं
ट्रंप ने अपनी इस बात के पीछे तर्क दिया कि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस महत्वपूर्ण नहर से गुजरने के लिए जहाजों से ''बेवजह'' शुल्क वसूला जाता है। रिपब्लिकन पार्टी के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने यह टिप्पणी पांच नवंबर को चुनाव जीतने के बाद अपनी पहली बड़ी रैली में की। एरिजोना में 'टर्निंग प्वाइंट यूएसए अमेरिकाफेस्ट' में समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास करेगा, अमेरिकी सीमाओं को सील करेगा और पश्चिम एशिया एवं यूक्रेन में युद्धों को तत्काल बंद कराएगा।अमेरिका को हसीन सपने दिखा रहे ट्रंप
ट्रंप ने कहा, ''मैं गर्व से यह कह सकता हूं कि अमेरिका का स्वर्णिम युग हमारे सामने है। हमारे अंदर अब एक ऐसी भावना है जो कुछ समय पहले तक नहीं थी।'' ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा, ''हम सभी को एक साथ लाने की कोशिश करना चाहते हैं। हम कोशिश करने जा रहे हैं। हम वास्तव में इसे एक मौका देने जा रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने ''अपना आत्मविश्वास खो दिया है और चुनाव के बाद भ्रमित हैं लेकिन वे अंततः हमारे पक्ष में आएंगे क्योंकि हम चाहते हैं कि वे हमारे साथ आए।''अमेरिका ने पनामा को क्यों सौंपा नहर
ट्रंप ने इस दौरान अनेक नए एवं पुराने मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ''हमें पनामा नहर से वंचित किया जा रहा है।'' साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका ने ''मूर्खतापूर्ण'' तरीके से इसे अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंप दिया था।'' अमेरिका ने 1900 के दशक की शुरुआत में इस नहर का निर्माण किया था और उसका मकसद अपने तटों के बीच वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों के आवागमन को सुविधाजनक बनाना था। अमेरिका ने 1977 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के तहत 31 दिसंबर 1999 को जलमार्ग का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया था।पनामा नहर विवादों में क्यों
यह नहर जलाशयों पर निर्भर है और 2023 में पड़े सूखे से यह काफी प्रभावित हुई थी, जिसके कारण देश को इससे गुजरने वाले जहाजों की संख्या को सीमित करना पड़ा था। इसके अलावा नौकाओं से लिया जाने वाला शुल्क भी बढ़ा दिया गया था। इस वर्ष के बाद के महीनों में मौसम सामान्य होने के साथ नहर पर पारगमन सामान्य हो गया है लेकिन शुल्क में वृद्धि अगले वर्ष भी कायम रहने की उम्मीद है।अमेरिका का करीबी सहयोगी है पनामा
पनामा अमेरिका का एक अहम सहयोगी है और नहर इसकी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। पनामा के राष्ट्रपति ने समय-समय पर अनेक मुद्दों पर ट्रंप का साथ दिया है। ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा कि जब उनका दूसरा कार्यकाल शुरू होगा और उस दौरान यदि कुछ सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया तो वह पनामा नहर को अमेरिका को पूर्ण रूप से, शीघ्रता से और बिना किसी प्रश्न के वापस करने की मांग करेंगे।पनामा के राष्ट्रपति ने जताई सख्त आपत्ति
ट्रंप के संबोधन के बाद पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने एक वीडियो जारी करके कहा, ''नहर का प्रत्येक वर्ग मीटर पनामा का है और आगे भी उनके देश का ही रहेगा।'' मुलिनो ने कहा, ''पनामा के लोगों के कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन जब हमारी नहर और हमारी संप्रभुता की बात आती है तो हम सभी एकजुट हैं।''पनामा नहर पर संप्रभुता का दिया हवाला
मुलिनो ने कहा कि शुल्कों को मनमाने ढंग से निर्धारित नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि पनामा ने जहाज यातायात को बढ़ाने के लिए ''अपनी पहल पर'' वर्षों से नहर का विस्तार किया है। उन्होंने यह भी कहा कि जहाज यातायात शुल्क में वृद्धि से सुधारों के लिए भुगतान करने में मदद मिलती है। मुलिनो ने कहा, ''पनामा के लोगों के कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं। लेकिन जब हमारी नहर और हमारी संप्रभुता की बात आती है, तो हम सभी अपने पनामा के झंडे के नीचे एकजुट होंगे।''कोलंबियाई राष्ट्रपति ने क्या कहा
कोलंबियाई राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने एक्स पर कहा, "मैं पनामा और उसकी संप्रभुता की रक्षा के पक्ष में रहूंगा... यदि नया अमेरिकी प्रशासन व्यापार पर बात करना चाहता है, तो हम आमने-सामने और अपने लोगों की भलाई के लिए व्यापार पर बात करेंगे, लेकिन हम कभी भी सम्मान और गरिमा पर बातचीत नहीं करेंगे।"from https://ift.tt/LuDbZoq
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