नरेंद्र मोदी सरकार ने फ्रांस की दसॉ एविएशन (Dassault Aviation) 36 राफेल लड़ाकू विमानों का जो सौदा किया है वो यूपीए सरकार के दौरान 126 विमानों की खरीद के लिए दिए गए प्रस्ताव की तुलना में बेहतर नहीं है. रक्षा मंत्रालय के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने डिसेंट नोट में यह बात लिखी थी. राफेल सौदे पर द हिंदू की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, राफेल सौदे की बातचीत में शामिल सात सदस्यों वाले भारतीय दल में शामिल तीन रक्षा अधिकारियों ने कहा था कि 36 में से पहले 18 विमानों की डिलीवरी का शेड्यूल (कार्यक्रम) UPA के दौरान प्रस्तावित सौदे की तुलना में धीमा (Slow) है. EXCLUSIVE: Contrary to claims made in the joint statement by @narendramodi and ex-President Francois Hollande on April 10, 2015,the #RafaleDeal was not on ‘better terms’ than UPA-era offer https://t.co/C0l4JmARGM — The Hindu (@the_hindu) February 12, 2019 अखबार के मुताबिक भारतीय निगोशिएशन टीम (INT) में कुल सात सदस्य शामिल थे. इनमें से तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट तौर पर यह माना था कि फ्लाइवे कंडीशन (उड़ान भरने की हालत) में 36 राफेल विमानों के लिए मोदी सरकार का सौदा UPA सरकार की ओर से दसॉ एविएशन से 126 विमान खरीद प्रस्ताव से ‘बेहतर शर्तों’ पर नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन विशेषज्ञों- एमपी सिंह, एआर सुले और राजीव वर्मा ने 1 जून, 2016 को इस सौदे पर असंतोष जताते हुए इसके विरोध में सख्त नोट भेजा था क्या है राफेल सौदा? राफेल डबल इंजन से लैस आधुनिक लड़ाकू विमान है. इसका निर्माण फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन ने किया है. भारत सरकार ने फ्रांस के साथ 36 आधुनिक लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया है. फ्रांस यात्रा के दौरान अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों की सरकार के स्तर पर समझौते के तहत 36 राफेल विमानों के खरीदने की घोषणा की थी. भारत और फ्रांस के बीच 36 विमानों का यह सौदा 58,000 करोड़ रुपयों का है. समझौते के तहत भारत को राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप इस साल (2019) के अंत से मिलने लगेंगे. [caption id="attachment_153582" align="alignnone" width="1002"] राफेल लड़ाकू विमान (प्रतीकात्मक तस्वीर)[/caption] कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर इस सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है. पार्टी इसे मुद्दे पर सड़क से संसद तक में जोर-शोर से विरोध-प्रदर्शन कर रही है. कांग्रेस का आरोप है कि उसके (यूपीए) शासनकाल में भारत सरकार द्वारा वायुसेना की मजबूती के लिए फ्रांस से 126 विमानों के लिए 54,000 करोड़ रुपए में सौदा तय किया गया था. लेकिन 2014 में केंद्र में सत्ता आने पर मोदी सरकार ने विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 कर दिया जबकि लागत बढ़ाकर 58,000 करोड़ रुपए कर दिया.
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#RafaleDeal: 'UPA की तुलना में मोदी सरकार का किया Rafale Deal बेहतर नहीं'
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