मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कोर्ट में गवाही देने में ढिलाई कई अधिकारियों के लिए परेशानी खड़ी करने वाली है। जिले के महमूद नगर में वर्ष 2003 में हुई आगजनी और बवाल के चश्मदीद गवाहों को गवाही देनी थी। लेकिन, अधिकारी लगातार सुनवाई की तिथि पर गायब रह रहे थे। ऐसे में कोर्ट ने सख्त आदेश जारी किया है। तत्कालीन एडीएम प्रशासन और एसपी सिटी के गवाही देने के लिए लगातार गैरहाजिर रहने पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) शक्ति सिंह की कोर्ट ने शुक्रवार को समन जारी किया। गवाही देने नहीं आने पर कोर्ट ने तत्कालीन दो दारोगा के भी गैर जमानती वारंट जारी कर 16 सितंबर को पेश होने का आदेश दिया हैं। एडीजे ने मुकदमे की कमजोर पैरवी पर सीबीसीआईडी से नाराजगी जताई है और उत्तर प्रदेश के डीजीपी और एडीजी सीबीसीआइडी को इस बारे में चिट्ठी भी लिखी है। घटना 14 फरवरी 2003 की मुजफ्फरनगर शहर के महमूदनगर की थी। नगर पालिका के सभासद जाकिर पर कुछ लोगों ने हमले कर दिया था। हमले से नाराज भीड़ ने एक आरोपी साजिद के मकान को आग के हवाले कर दिया था। मकान में साजिद के परिवार के सदस्य भी थे। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घर में मौजूद परिजनों को बमुश्किल बचाया था। हालांकि, भीड़ ने लोगों को बचा रही पुलिस का विरोध किया था और पुलिस पर हमला कर दिया था। मुजफ्फरनगर के तत्कालीन एसपी सिटी अरुण कुमार गुप्ता, एडीएम प्रशासन सीपी सिंह जब पीएसी के साथ मौके पर पहुंचे तो उन पर भी भीड़ के हमला करने का आरोप है। पुलिस ने भीड़ की अगुवाई करने के आरोप में मोहम्मद अब्बास समेत 61 लोगों को मौके से गिरफ्तार दिखाया था। बाद में इस केस की जांच सीबीसीआईडी मेरठ सेक्टर को सौंप दी गई थी। सीबीसीआईडी ने तय वक्त में अपनी चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी। सभी गिरफ्तार लोगों को आरोपी माना था। लेकिन सीबीसीआईडी की कमजोर पैरवी के चलते 19 साल पुराने इस केस में गवाह कोर्ट में पेश नहीं कर पाई थी। इससे कोर्ट सीबीसीआईडी की भूमिका से खफा हुआ और यूपी के डीजीपी और एडीजी सीबीसीआईडी को इस बारे पत्र लिखा है। मौके के गवाह दरोगा डीसी मिश्रा और आरडी सिंह के गैर जमानती वारंट जारी कर 16 सितंबर को पेश होने के आदेश दिए। आदेश शुक्रवार का है।
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