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Tuesday, September 17, 2024

MP नलिन सोरेन के पुत्र संभालेंगे विरासत? BJP की ओर से शिकार करने उतरेंगे ये दिग्गज

दुमका: झारखंड के 81 विधानसभा विधानसभा क्षेत्रों में एक अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित शिकारीपाड़ा सीट जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) का अभेद किला माना जाता है। जिसे भेदने के लिए पिछले चार दशक में कांग्रेस, भाजपा, जेवीएम, जेडीयू और लोजपा के कई मंझे हुए योद्धा मैदान में उतरे और कड़ी मेहनत की। फिर भी झामुमो या उसके राजनीतिक खिलाड़ी नलिन सोरेन को पछाड़ने में सफल नहीं पाये। शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र दुमका लोकसभा क्षेत्र से जुड़ा है।

नलिन सोरेन ने लगातार 7 बार जीत हासिल की, अब सांसद बने

हाल में सम्पन्न लोकसभा के चुनाव में इस क्षेत्र की जनता ने यहां से लगातार सात बार विधायक चुने जाते रहे झामुमो के वरिष्ठ नेता नलिन सोरेन को अपना सांसद चुन लिया है। इस वजह से फिलहाल इस क्षेत्र में विधायक का पद खाली है। झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा यह क्षेत्र शिकारीपाड़ा, रानेश्वर और काठीकुंड प्रखंड क्षेत्रों में फैला है। आजादी के बाद 1952 में अस्तित्व में आये इस विधानसभा क्षेत्र में अभी तक उपचुनाव सहित 17 बार विधानसभा के चुनाव हुए। अलग झारखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी झामुमो के वरिष्ठ नेता नलिन सोरेन वर्ष 1990 से लगातार इस क्षेत्र से विधायक चुने जाते रहे। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में झामुमो अपने इस मजबूत किले को बचाने के लिए किन्हें अपना योद्धा बनाती है। यह देखना दिलचस्प होगा। इसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।

नलिन सोरेन की पत्नी-बेटा और बसंत समेत कई दावेदार

राजनीतिक गलियारे में इस क्षेत्र से झामुमो के टिकट के कई दावेदारों के नामों की चर्चा है। इसमें नलिन सोरेन के पुत्र आलोक सोरेन और उनकी पत्नी जिला परिषद की अध्यक्ष जायस बेसरा और दुमका के विधायक बसंत सोरेन के साथ की कई अन्य लोग शामिल हैं। वहीं भाजपा में भी पार्टी टिकट के कई प्रबल दावेदार हैं। ऐसे भी पार्टी विभिन्न स्तरों पर बैठक कर कार्यकर्ताओं से संभावित प्रत्याशियों के नाम को लेकर रायशुमारी कर रही है। जीतने वाले योग्य उम्मीदवारों के तलाश में जुटी है। हालांकि चर्चा के मुताबिक भाजपा के टिकट लिये पूर्व में भाजपा व जेवीएम से चुनाव लड़ चुके परितोष सोरेन,अविनाश सोरेन सहित कई अन्य प्रत्याशी पार्टी का टिकट हासिल करने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहे हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 शिकारीपाड़ा से जेएमएम को बढ़त

इस वर्ष मई में संपन्न लोकसभा चुनाव 2024 में शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से जेएमएम प्रत्याशी नलिन सोरेन को करीब 25 हजार से बढ़त मिली। इस बढ़त ने नलिन सोरेन की जीत में अहम भूमिका निभाने का काम किया।
प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत
नलिन सोरेन झामुमो 87,980
सीता सोरेन भाजपा 62,639

वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत
नलिन सोरेन जेएमएम 79,400
परितोष सोरेन बीजेपी 49,929
राजेश मुर्मू जेवीएम 5,164
सालखन मुर्मू जेडीयू 4,445

वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत
नलिन सोरेन जेएमएम 61,901
परितोष सोरेन जेवीएम 37,400
शिवधन मुर्मू लोजपा 21,010।
राजा मरांडी कांग्रेस 7,877

वर्ष 2009 में विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत
नलिन सोरेन जेएमएम 30,478
परितोष सोरेन जेवीएम 29,471
राजा मरांडी जदयू 29,009

वर्ष 2005 में विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत
नलिन सोरेन जेएमएम 27,723
राजा मरांडी जदयू 24,641

वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत
नलिन सोरेन जेएमएम 39,259
छोटु मुर्मू बीजेपी 23,126

1952-2019 के बीच शिकारीपाड़ा विधानसभा से निर्वाचित विधायक

र्ष प्रत्याशी का नाम पार्टी
1952 विलियम हेम्ब्रम झापा
1957 सुपाई मुर्मू झापा
1962 वरियार हेम्ब्रम झापा
1967 वरियार हेम्ब्रम कांग्रेस
1969 चडरा मुर्मू निर्दलीय
1972 शिबू मुर्मू हुल झा.पा.
1977 बाबुलाल किस्कू जनता पार्टी
1979 डेविड मुर्मू (उपचुनाव) जेएमएम
1980 डेविडमुर्मू जेएमएम
1985 डेविडमुर्मू जेएमएम
1990 नलिन सोरेन जेएमएम
1995 नलिन सोरेन जेएमएम
2000 नलिन सोरेन जेएमएम
2005 नलिन सोरेन जेएमएम
2009 नलिन सोरेन जेएमएम
2014 नलिन सोरेन जेएमएम
2019 नलिन सोरेन जेएमएम

शिकारीपाड़ा से जेएमएम ने 10 बार जीत हासिल की

आजादी के बाद इस क्षेत्र में उपचुनाव सहित विधानसभा के 17 चुनावों में झामुमो ने इस क्षेत्र से लगातार 10 बार जीत दर्ज की। दुमका के सांसद नलिन सोरेन स्वयं लगातार 7 बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गए। जबकि झारखंड पार्टी ने तीन बार, कांग्रेस,निर्दलीय,हुल झारखंड पार्टी और जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने एक- एक बार इस सीट पर जीत दर्ज की । पिछले जून महीने में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में झामुमो ने इस क्षेत्र में भाजपा से लगभग 25 हजार से अधिक मत बटोर कर एक बार फिर इस क्षेत्र पर अपनी मजबूत पकड़ होने का संकेत दिया है। इस आधार पर झामुमो इस सीट पर लगातार 11 वीं बार परचम लहराने को लेकर आश्वस्त दिख रहा है।

आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं की आबादी करीब 63 प्रतिशत

एक अनुमान के मुताबिक इस क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की आबादी लगभग 55 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाताओं की आबादी करीब 8 प्रतिशत हैं। जबकि कोयरी 4, दलित 6, अन्य पिछड़ी जाति 7 और जातियों की आबादी लगभग 13 प्रतिशत है। पूर्व में सम्पन्न चुनाव परिणामों के आधार पर इस क्षेत्र में आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव झामुमो के पक्ष में रहा है। वहीं अन्य समुदाय के मतदाता कांग्रेस या भाजपा के पक्षधर माना जाते रहे हैं। अब तक के चुनाव परिणामों पर गौर करें तो पिछले साढ़े चार दशक से आदिवासी व मुस्लिम मतदाता की गोलबंदी की वजह से झामुमो के प्रत्याशी यहां से विधायक चुने जाते रहे हैं। इस वजह से संताल परगना में शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र भी झामुमो का मजबूत किला माना जाता रहा है।

शिकारीपाड़ा क्षेत्र में पत्थन खदान और क्रशर प्लांट से रोजगार

हाल के कुछ वर्षों में शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में पत्थर खदान और क्रशर प्लांट स्थापित किए जाने से यह क्षेत्र भी पत्थर उद्योग के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। पत्थर उद्योग इस क्षेत्र के लोगों के रोजी रोजगार का मुख्य साधन बन गया है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में राज्य सरकार द्वारा पत्थर व्यवसाय को लेकर कोई नीति नहीं बनाये जाने की वजह से पत्थर व्यवसाय अब दम तोड़ता दिख रहा है। पत्थर व्यवसाय से जुड़े लोगों की माने तो पूर्ववती भाजपा सरकार के कार्यकाल में इस क्षेत्र के लोगों के रोजगार का मुख्य साधन बना पत्थर खदान और क्रशर एक कर बंद हो गये। इस कारण इस क्षेत्र के हजारों लोग रोजगार विहीन हो गये हैं। लगातार 45 वर्षों तक इस क्षेत्र पर झामुमो का एकछत्र राज रहा है।

मसानजोर डैम के रहने के बावजूद पेयजल का अभाव

इसके बावजूद यहां पेयजल का घोर अभाव रहा है। 50 के दशक में निर्मित मसानजोर डैम के बांया तट नहर से इस विधानसभा क्षेत्र के रानेश्वर प्रखंड क्षेत्र के कुछ इलाकों में सिंचाई की सुविधा मुहैया कराया जा रहा है। लेकिन इस डैम से दांया तट नहर निर्माण परियोजना का प्रस्ताव आजादी के 70 साल बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। फलस्वरूप इस विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में अभी भी सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी है।

कोल ब्लाक के लिए जमीन अधिग्रहण, विस्थापित होने का खतरा

वहीं हाल के दिनों में इस क्षेत्र के कुछ इलाकों को कोल ब्लाक के रूप में जरूर चिह्नित किया गया है। जिसके जमीन अधिग्रहण के लिए स्थानीय लोगों को मनाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन विस्थापन की आशंका से भयभीत स्थानीय रैयत इस प्रस्तावित कोल ब्लॉक के लिए जमीन देने को तैयार नहीं हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि कोल ब्लॉक शुरू होने से यहां के लोगों को विस्थापन की समस्या से जूझना पड़ सकता है। इससे लोग भयभीत हैं। हालांकि कई लोगों का यह भी मानना है कि सरकारी स्तर पर लोगों का पुनर्वास की ठोस व्यवस्था करने के बाद इस क्षेत्र में कोल ब्लॉक शुरू किये जाने से जहां राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार सुलभ होने के मार्ग खुलने की उम्मीद है।


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