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Tuesday, April 8, 2025

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खंडवा में जल संकट को लेकर त्राहिमाम, मेंढक बनकर कलेक्ट्रेट पहुंचे नगर निगम नेता प्रतिपक्ष, इस योजना पर फूटा आक्रोश

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खंडवाः मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में पिछले एक सप्ताह से जल संकट छाया हुआ है। पूरे शहर भर में चारों तरफ से गर्मी की दस्तक के साथ ही हाहाकार की स्थिति निर्मित हो रही है। करीब ढाई सौ करोड़ रुपए की नर्मदा जल योजना होने के बावजूद क्षेत्र वासियों का कंठ सूखा हुआ है। परेशान लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं।मंगलवार के दिन खंडवा कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई हुई। इसमें शहर के आधा दर्जन से ज्यादा वार्ड के लोगों ने जल संकट के विरोध में अनूठा प्रदर्शन किया। खंडवा नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष मुल्लू राठौर मेंढक बनकर कूद कूद कर खंडवा कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद कलेक्टर से पानी देने की गुहार लगाई।

नगर निगम ने नहीं सुना तो पहुंचे कलेक्ट्रेट

जल संकट के विरोधी का यह कोई पहला मामला नहीं है बल्कि पिछले सप्ताह हीं शहर की एक दर्जन वार्ड वासी पानी नहीं आने से परेशान थे। नगर निगम में प्रदर्शन करके जब कोई फायदा नहीं मिला तब कलेक्टर के पास गुहार लगाने पहुंचे। लोगों का कहना है कि प्रदेश की अति महत्वाकांक्षी नर्मदा जल योजना का यह हाल लोगों के गले नहीं उतर रहा है। इस मामले में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कलेक्टर करवाई आखिर क्यों नहीं कर रहा।

120 करोड़ की योजना 250 करोड़ रुपए तक पहुंची

वर्ष 2009 में केंद्र की कांग्रेस सरकार और एमपी सरकार ने मिलकर प्रदेश के खंडवा जिले में जल संकट को दूर करने के लिए नर्मदा जल परियोजना लेकर आई थी। खंडवा के इंदिरा सागर डैम में भरपूर पानी मौजूद है। इसी जलाशय के बैक वाटर चारखेड़ा से खंडवा में जलापूर्ति करने के लिए 120 करोड़ रुपए की नर्मदा जल योजना बनाई गई थी। लेकिन, 16 साल गुजरने के बावजूद खंडवा अब तक पानी की एक एक बूंद को तरस रहा है। इन 16 सालों में 16 दिन भी ऐसा नहीं गुजरा जहां सतत बिना रुकावट के पानी शहर की जनता को मिले।

भ्रष्टाचार की भेट चढ़ी नर्मदा जल योजना

साल 2009 में खंडवा से सांसद और तत्कालीन मंत्री अरुण यादव ने केंद्र सरकार से खंडवा में पेय जल समस्या को दूर करने के लिए नर्मदा जल परियोजना स्वीकृत कराई थी। इसकी लागत तब 120 करोड़ रुपए की थी। प्रदेश सरकार और तत्कालीन खंडवा नगर निगम परिषद ने इस योजना में हीं फेरबदल कर दी। योजना को पी.पी.पी.मोड में परिवर्तित कर दिया गया था। योजना की लागत को बचाने के लिए लोहे के जीआई पाइप की जगह प्लास्टिक के पाइप लगा दिए गए। खंडवा नगर निगम ने तर्क यह दिया कि ऐसा करने से लगभग 45 करोड़ रुपए की बचत होगी जिससे नगर निगम की सेहत में सुधार आएगा।

अब तक 100 करोड़ से ज्यादा खर्च कर चुका है निगम

नगर निगम ने 45 करोड़ रुपए बचाने के लिए जल सप्लाई का ठेका लेने वाली कंपनी विश्वा यूटिलिटीज के साथ काम किया। दोनों ने लोहे पाइप की जगह प्लास्टिक के पाइप डाले। वह प्लास्टिक पाइप अब तक 400 से ज्यादा बार फुट चुकी है। एक बार पाइप लाइन के फूटने के चलते इसको बदलने का एक बार का खर्च लगभग 8 लाख रुपए आता है। 2012 से पाइप से पानी सप्लाई शुरू हुआ था। कई बार फूटने के चलते इसकी मरम्मत की कीमत 32 करोड़ तक पहुंच चुकी है। इस बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुराने वाटर रिसोर्स को अपडेट करने के लिए 60 करोड़ इस योजना में और दिए थे। नगर निगम ने पाइपलाइन बदलकर जो गड़बड़ी की थी उसकी सजा आज तक शहर भुगत रहा है।
वाटर सप्लाई कंपनी के खिलाफ एफआईआर की उठाई मांग
खंडवा कलेक्टर ने 10 दिन पहले ही शहर में जलप्रदाय करने वाली विश्व यूटिलिटीज कंपनी और नगर निगम की बैठक ली थी। खंडवा कलेक्टर ने कहा था कि नर्मदा जल योजना की पाइपलाइन अगर फटती है और शहर में आम जनता को जल संकट को लेकर अगर आक्रोश कहीं भी फूटा तो जल प्रदान करने वाले कंपनी के खिलाफ एफआईआर की जाएगी। इसके बाद इन 15 दिनों में कई बार पाइपलाइन फूटी। लेकिन कंपनी पर एफआईआर नहीं हुई। इसको लेकर लोग काफी आक्रोशित हैं।


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