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Sunday, April 20, 2025

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श्रीलंका में भगवान बुद्ध के पवित्र दांत की तस्वीर पर क्यों मचा बवाल, लोगों में आक्रोश, पुलिस ने शुरू की जांच

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कोलंबो: भगवान बुद्ध के पवित्र दांत के अवशेष की कथित तस्वीर सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर साझा की जा रही है। श्रीलंकाई पुलिस ने रविवार को कहा कि वह इस बात की जांच कर रही है कि बुद्ध के पवित्र दांत के अवशेष की कथित तस्वीर कैसे खींची गई। कैंडी के मध्य शहर में 16 वर्षों के अंतराल के बाद शुक्रवार को शुरू हुई दुर्लभ प्रदर्शनी के दौरान दंत मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में कैमरा या मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं थी।

तस्वीर कैसे खींची गई, होगी जांच

पुलिस ने कहा कि जांच में तस्वीर की प्रमाणिकता का पता लगाया जाएगा। कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक प्रियंता वीरसूर्या ने कहा कि यह पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच जारी है कि यह तस्वीर कब खींची गई। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो आपराधिक जांच विभाग की मदद ली जाएगी। पवित्र दांत के अवशेष की फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी सख्त वर्जित है।

भगवान बुद्ध के पवित्र दांत देखने आ रहे हजारों श्रद्धालु

हजारों की संख्या में बौद्ध श्रद्धालु इस अवशेष की पूजा करने के लिए आ रहे हैं और कई मील दूर से ही कतारें लगी हुई हैं। दो बच्चों की मां गीतानी मेंडिस (65) ने मंदिर के प्रवेश द्वार के पास कहा, "हम इस दुर्लभ अवसर का उपयोग दांत के अवशेष की पूजा करने के लिए कर रहे हैं-भले ही हमें कतार में लंबा समय क्यों न बिताना पड़ा हो।"

श्रीलंकाई राष्ट्रपति के अनुरोध पर आयोजित की गई प्रदर्शनी

यह प्रदर्शनी राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायक के अनुरोध पर 16 वर्षों के बाद आयोजित की जा रही थी। यह दंत अवशेष दो करोड़ दस लाख की आबादी वाले श्रीलंका के 74 प्रतिशत सिंहली बौद्ध बहुसंख्यकों के लिए विशेष आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।

1590 में कैंडी लाया गया था भगवान बुद्ध का अवशेष

ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, 1590 में कैंडी में लाया गया यह दंत अवशेष बौद्ध आस्था का प्रतीक था और यह धीरे-धीरे श्रीलंका की सबसे बहुमूल्य संपत्ति में शुमार हो गया। ऐसा कहा जाता है कि किसी को भी दांत के वास्तविक अवशेष को देखने की अनुमति नहीं थी। आधुनिक समय में आगंतुकों को दूर से ही अवशेष देखने की अनुमति है। यह प्रदर्शनी 27 अप्रैल तक आयोजित की जाएगी।


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